उन्नीस सौ सैंतालिस का प्रभात का पर्व बटि आज द्वी हजार बीस अर अगने भी उमरभर सदानि यु देस यनि स्वतंत्र खुला बथौ मा, स्वतंत्र रौजणू पौजणू रोलू।
यी देश की माटी मा, गौं मुल्क, स्कूल, दफ्तर हर जगा कोणा-कोणों पंद्र अगस्त, स्वतंत्रत ह्वोण कु त्योहार खूब धूमधाम से मनाये जांदू।
अंग्रेजुन बड़ी पिड़ा दीनी यी माटी तै, ग्यान विज्ञान वेद पुरांण की धर्ती भारत बटि तौंन सदानि नयु नयु सीखी
अर अपडि ही भाषा संस्कृति का बीज बूति दीन्या यख।
अंग्रेजों कि सांगळ मा देस जकड्यूं रै, यख आम मनखि तै अपडि मनै मर्जी कनै छूट नि छे।
यन माहोल मा मातृभूमि की माटी कु तिलक लगे, देश का भौत सारा जाबांज, वीर-देशभक्त,मुंड मा, केसरिया साफा बांधी जिकुडि हाथ मा धरी, क्रांति की मशाल जगै अगने ऐन। घौर-परिवार रिश्ता नाता का स्वार्थ छोड़ी मातृभूमि की स्वतंत्रता की बन्याथ मा जतर्वे बणिन।
धरम-जाति, वर्ण का गांठा पुचाळि सि एक परिवार बणींतै आजादी की धै-धाद मार्दि रैन।
स्वारथ का कांडा-मूंडा काटी खुली बथौ का स्वींणा द्येख्दरा यि, वीर-क्रांतिकारी देवदूत से कम नि छा!
एक तरफ जोश दगडि, होश कु रळो-मिस्सो कर्दरा, सेळा-नरम दल का लोग छा, जौंमा मातमा गांधी जी, जवार लाल नैरू जी, सरदार बल्लभ भै पटेल जन दाना-स्यांणा मनखि छा, तखि हैकि तरफां ताता खून दगडि, हौंसिया,क्रांतिकारी वीर, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, सुखदेव जन ज्वान वीर छा।
मीरा बेन, सिस्टर निवेदिता जन विदेशी महिला भी हमारा ये आंदोलन मा स्वामी विवेकानंद जी का आदर्श अर महात्मा गाँधी जन ब्यक्तित्वों से हुर्स्येन अर सक्रिय रैन।
येका अलौ सरोजनी नायडु जन महिला भी पिछने नी रेन,
महिलाओं का योगदान तै भी कतै कम नि आंकि सकदा हम, स्वतंत्रता आंदोलन मा।
यि सब लोग जौंका प्रताप हम खुलि बथौं मा, फफरांणा छिन, यि आंदोलन का क्रांति गीत, अर देशभक्ति का नारा स्येंदि खांदि लगोंदि गैन। भूख-तीस, हरचे तै, देश की स्वतंत्रता खातिर तौंकी क्रांति की बिज्वाड़ डाळी रे, तबेत चंद्रशेखर, भगत सिंग जन जाबांज हैंसदि- हैंसदि फांसी का फंदा पर झूली गैन, त हैकि तरफ नै-नै क्रांतिकारी, ये स्वतंत्रता संग्राम का आंदोलन मा, ओंदि रैन, जुडदि गैन।
भारत की माटी का ये ही हौंसला तै देखी तै, अंग्रेजी रियासत की ‘चौं’ हलकण बैठी छे, उम्मीद का ‘भीड़ा’ खपच्यांण बेठ्या छा!
यन ‘स्यू-सगत’ जमी-जमांई ब्रिटिश रियासत का पसर्दा जौड़ा काटण मा, ईं माटी का भौत सारा वीर- क्रांतिकारी शहीद ह्वेन।
जौंकु अमिट योगदान, वीरगाथा, का पंवाणा भारत का हर मुल्क का कोणा कुमच्यारों मा लगाये जांदा।
स्कूल दुकान आॅफिस दफ्तर गौं-मुल्क हर जगा शहीदों क्रांतिकारियों की जै-जैकार होंदि।
भारत माँ की अखंडता का नारा लगाये जांदन।
स्कूलि बच्चों की देशभक्ति की झाँकी देखी सबुकू जोश -जज्बात अर तन- मन मातृभूमि मा रमि जांदू।
देशभक्ति का गीत, राष्ट्र वंदना, राष्ट्रगान दगडि हर प्रतिष्ठान मा तिरंगा फैरै जांदू, अर हम सब गर्व से
” जै हिन्द, जै हिन्द” “भारत माता की जै” अर अमर वीर क्रांतिकार्यूं जै-जैकार कर्दन।
दिल्ली लालकिला प्राचीर पर खडु हवेक, भारत का प्रधानमंत्री बड़ा जोश-गर्व से पूरा देश तलक स्वतंत्रता दिवस कु रैबार-संबोधन द्येंदा, तख हर राज्य अपडि बन-बनि संस्कृति की झाँकी निकाळदन।
अर पूरु देस एक धागा, एकसूत्र मा गठ्ये जांदू
ऐंच पाड़ बटि निस गंगाड, कश्मीर बटि कन्याकुमारी, गिर-गुजरात बटि असम-मेघालय तक संगति केसरिया सफेद हर्यू तिरंगा भारत माता की अखंडता की गवै द्येंदू।
यन देस जैंकि स्वतंत्रता मा वीर अमर सपूतों कु ळवे रळयूं च, ते स्वतंत्रता दिवस तै हम कनुके बिसरे सकदा!
देस की सीमा पर हिमाळै जन सगत सैनिकों कु पैरा हमुतै सुनिंद स्योण द्योंदु यन अमर वीर देश का जवानों अर वीर अमर क्रांतिकार्यूं तै एक रचना दगडि—
“नमन तौं रणबांकुरों तै”
नमन तौं रणबांकुरों तै
नमन तौं अमर शहीदों तै
रळै-मिळिगिन माटी मा
जय हिन्द वीर जवानों तै
संदै खेलै अ तपै छो तु
नमन तै माँ की ख्वोकळि तै
नमन तै माटी थाति तै
नमन तैं पिताजी कि जिकुडि तै
ई
देश धरम का बाना
जौंन
मायादारै माया
बिसरै।,
सजिला माया सुपिना चुळै
वंदेमातरम् माळा गंठै
नमन हाथौं तै, जौंन
पीठी पिठ्वा, अर -बंदूकी तांणिन
दूर दूर बै, खोजि खोजी
लूक्या आतंकी मारिन
नमन तौं, हाथ्यूं की चूडयूं तै
जु बाजिन यन सुहाग तै
नमन तै माथै कि बिंदुलि
जु चमकि यन भग्यान तै
नमन तौं बैण्यूं का भैयूं तै
जु रक्षा की ढाल बणी गैनी
नमन तै राखुडी का धागा
जु देश का हित मा खुली गैन
नमन तौं अमर सपूतों तै
जौंका बल सुंनिद सैंया हम रैन
अंत समै जु लडदा-लडदा
देश का खातिर मरि मिटि गैन
नमन तौंकि जिकुड्यू तै,
जु अंत समै तक चलदि रैन,
भारत माँ का जैकारा तक,
धडक धडक जु कर्दि रैन
यौक तनै, खून रे बगणू
लाल बणी छै, माटी रे,
देशधरम का खातिर
जौंकी
फूली रैगिन, छाती रे
देश थाति, माटी का खातिर,
रळै मिलिगिन माटी मा,
तौं वीर भडू कु ळवे भट्याणू,
निसाफ मांगणू घाटी मा
मंदिर-मस्जिद, जाति-धर्म जन,
बिज्वाड कांडो कि, ना बणां!
देशधरम की राजनीतिक मा,
बगदा ल्वै की फसल पण्यां।
आतंकवादी देश बण्यूं जु,
यैकि स्यैक्कि पट्ट, झांडि द्या,
ज्वान जवान अर वीर शहीदों का,
बगदा ळ्वे कु हिसाब मांगी द्या।
बंदुकी-मिसैल, यंत्र-मशीन,
लकदक हिंदुस्तान सजै द्या,
थरथर कांपि जौ,
बैरी मुलक
यैकि जरा औकात बथै द्या।
प्यार की भाषा नी बींगणू,
अब चेतौण छोड़ी द्या,
आतंकवादी भेष मा घूमणू,
एटम बम द्वी-चार फोडी द्या ।
देश थाति की माटी का खातिर,
रळै मिलिगिन जु माटी मा,
तौं वीर भडू कु ळवे भट्याणू,
निसाफ मांगणू घाटी मा।
अश्विनी गौड दणकोट रूद्रप्रयाग बटि










