–‘ब्यो’—-कंडाळि तै ब्यौ कि स्यांणि लगिनकंडाळि न बोलि मैन ब्यो कनइसकोस दगड़ि!समझ नि आई इसकोस तै!टोपलि उतारि खजाळिकनै मुंडमा,ब्योकु न्योतू द्योण बैठी सबुमा,छुंई लगणी पुंग्ण्यूं सार्यू मा,अमर्योत आई, भट्टा ऐन,चचैंडा गोदड़ी भी।आलू पिंडाळु तैडुमौंण गाड़ी भैर,इसकोस भैजी की बुलाई मीटिंग मा,गोदड़ी ब्वनू किलै बुलाईहमुतै आज सारी मा,इसकोस ब्वन्नू भोल स्वयंबर चऐ जाया तुम सबि ब्यो […]
दगड्यों: निर्भागी जमानु बि कनु गजब च
दगड्यों निर्भागी जमानु बि कनु गजब च,नोना-नौनी सबुमा देखा, चाल ढाल सब अलग च। निर्भागी यनु जमानु क्या आईजु! लाज सरम कुछ नि राई कंडुदी मा लीड़ तौंकीमोबैल धर्यूं हात चदिन-भर फोन मा ब्यस्त,फेसबुक मा जान च। निर्भागी यनु जमानु क्या आईजु! लाज सरम कुछ नि राई। बाळू कटिंग छोरौं की,देखा कन करी च,जींस’पैंट देखा दूं, सफा फुन […]
ओ पंछी बौड़ी औ, तिबारी-डंडयाळि
औ पंछी बौडी औ’ ओ पंछी बौड़ी औ, तिबारी-डंडयाळि सुन्न पड़यां छन,दै-दादा की रगर्यंदी आंखी,नाती – नतेणौं तै ख्वजण लगी छन। सोच!जरा अफसोस त्वै होलु!कर्ज चुकै नी! त्वीन बे – बाबा कु!पहाड़ी ह्णोंण पर त्वै शर्म च औंणीनौं डुबेलि त्वीन दै – दादों कु। घौर बै लसपस्या घ्यूं छोड़ीडालडा मखन खांण लगयुं च,क्या लगी होली यन बिमारी,सब […]
मि कनकै बिसरी जौं ?
मि कनकै बिसरी जौं ? ते चौक अर वा डिन्डयाळिजख सीखि मिन ग्वय्या लगाणूं,ब्वे की खुचिली माकभी दणमण रौंणू,त कभि खिलपत हैंसणु वा चुली खांदी गवै द्येलिदादी की कथा बातों की,बाड़ी-कंडाली अर चेंसु- फ़ाणू,कनि भली रस्याण रसिला हात की घुघुति -बसूती अर बाळापन का दगड्यालुका-छिपी, चोर-सिपै अर पिट्ठू-पंचगाराकाफल, बेडु, किनगोडा, हिसरचैत-बैसाख का मैना, ग्यों जौं […]
खडु उठाऽ— अग्वाडि बढ़ा
खडु उठाऽ— अग्वाडि बढ़ा स्वरोजगार की राह मा जळमभूमि कि छांव मा पहाड़ों की खुचळि मा रीति रिवाज निभौण चला खडु उठाऽ—- अग्वाडि बढ़ा गढकुमौं का मान मा उत्तराखंड सम्मान मा गढभाषा स्वाभिमान मा हिमाळै अभिमान मा खडु उठाऽ — अग्वाडि बढ़ा हैरिभैरि सार मा छैल पाखों धार मा गौडी भैस्यूं गुठ्यार मा द्यवतौं […]
ज्वोन सी मुखुडी वैंकी , काजल लगी आंखी
ज्वोन सी मुखुडी वैंकी ,काजल लगी आंखीसजी धजी बैठी च बेटुळिबाबा जी की सांखी। चाै तरफ हँसी फैली ,खुशी अईं च बार,नाैनी आज बडी ह्वेगी ,ब्याें च तैंकू आज । काम की किसाणसगाैर की खान वा ,मन मयालू छाै वैंकु ,कुछ इन्हीं छै वा। बाबा जी न आज ,दीली नाैनी दानफली फूली राजी खूशी रय्यां मेरी […]
कन मामारी फैलै यूँ चीन्यूंन
कन मामारी फैलै यूँ चीन्यूंनबिमारी कै देखिनपर यन भिये देखी, सूंणीजैन मनखि लम्पसारघैल करिनबीमारी नौं कोरोनाभैर भितर संगति दौनस्कूल काॅलेज पढै-लिखैसबि चुप्प-मौन।सैर गयां मनखिघौर औणौ तरसणांकखि कैगि आंखी जग्वाळ मा फफडांणीक्वे विपदा मा पैदल भटकणां। आरती राणा छात्रा- पालाकुराली
हे निर्दयों तुमतै दया भी नि आई
हे निर्दयों तुमतै दया भी नि आईचार रूपयों बाना ,तुमुन, मैं नोंचि-नोंचि खयूं। न मैती वैन मेरा ,न वैन मेरा स्वरी,केन बोलि बेटी च!त कैन बौली ब्वारी ! कबि बेटी धर्म त, कभि ब्वारी कर्म निभै,स्वार्युन दस मनख्युं बीच पूछी,ब्वोल ब्वारी देजा मा क्या ल्याई? जरा जब मैंन आवाज उठैक्य दीनी मेरा मैत्युन दैज माहकलन्दी आवाजन बुलै। मेरा […]
बदली द्योखा तस्वीर दुनिया की
“बदली द्योखा तस्वीर दुनिया कीसुंदर सा एक दृश्य बणौलारैबार हम प्रकृति कु दी कआवा सबि डाळा लगोलामिलि-जुलि पर्यावरण बचौला” “फैलण लग्यूं दिनरात परदूषणबण हैर्याळी की आंई खैरीहवा पाणी मा जहर मिलणूमनखि पर्यावरण कु बण्यूं बैरी” अंबिका राणा पालाकुराली
सोचणू छूं एक गीत लिखि द्यो
सोचणू छूं एक गीत लिखि द्योपहाड़ की खौर्यू परसुन्न पड्या ड्येर्यूं परबूड़ दादा दादी सांखी परतौंकी कमजोर ह्वोंदि आंखि परसोचणू छूं एक गीत लिखि द्योदादा का धुंवाण्यां ह्वक्का परअर दादी का क्वीला सजौंदा साज पर सोचणू छूं एक गीत लिखि द्यो ढोल दमौं की ताल परबीत्यां पुरांणा साल परद्यो-द्यवतौं शक्ति परआस्था विश्वास अर भक्ति पर […]